चन्द पल तेरी बाँहों में हम जी लिए

चन्द पल तेरी बाँहों में हम जी लिए यूँ लगा जैसे जन्मों-जनम जी लिए   फूल ने शाख़ से टूटते दम कहा- “कम जिए पर तुम्हारी क़सम जी लिए”   बादशाहों को भी कब मयस्सर हुई ज़िन्दगानी जो अहले क़लम जी लिए   घर का अहसास उभरा जो परदेस में जितने मुमकिन थे सारे ही … Continue reading चन्द पल तेरी बाँहों में हम जी लिए